शास्त्रों में उल्लिखित मंत्रों से भगवान की पूजा के साथ-साथ कुछ मंत्रों गंभीर रोगों में भी लाभ होता है । सिर दर्द हो या ह्रदय रोग, मंत्रों में हर रोग को दूर करने की क्षमता होती है ।
‘तंत्रासार’ में कहा गया है, जिसके मनन से मनुष्य का उद्धार होता है, उसे ‘मंत्र’ कहते हैं । शब्द को शास्त्रों में ब्रह्म कहा गया है अर्थात महा उर्जा का स्त्रोत । साधारण शब्दों के मुकाबले मंत्रों की शक्ति काफी अधिक होती है । तथा इनका प्रभाव भी अधिक होता है । इसलिए विभिन्न रोगों, मनोकामना पूर्ति, आपदा निवारण, सुख-शांति अदि में मंत्रों के प्रयोग का विधान है । मंत्रों से रोग भी दूर होते हैं । प्रस्तुत है, रोग निवारण के लिए अलग-अलग मंत्र:
सिर दर्द ठीक करने का मंत्र:-
जब भी आपके सिर में दर्द हो, तो अपना दया हाथ मस्तक पर रख कर यह मंत्र ‘ॐ उमा देवीभ्यां नमः’ का 1008 बार जप कर ले तथा अपना ध्यान मां उमा की ओर लगाएं । सिर दर्द में शीघ्र छुटकारा मिल जाएगा ।
नेत्र रोग ठीक करने का मंत्र:-
अगर आप नेत्र रोगों से परेशान है, तो एक बोतल में गुलाब जल लेकर ‘ॐ शांखिनीभ्यां नम:’ मंत्र का 1008 बार जप करके अभिमंत्रित करले । फिर यह गुलाब जल रोजाना आंखों में डालने से आंखों से संबंधित सभी रोग दूर हो जाएंगे ।
कान संबंधी परेशानी दूर करने का मंत्र:-
किसी शुभ मुहूर्त में स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करे । फिर पूजा घर में कुश के आसन पर बैठकर अपने समक्ष तीन लौंग का जलाया हुआ तिल का तेल एक कटोरी में रख लें । इसके बाद ‘ॐ यं यमघण्टाभ्यां नमः‘ मंत्र को 1008 बार जप कर तेल को अभिमंत्रित करले । फिर कभी भी नाक में कोई व्याधि हो, तो यह मंत्र ग्यारह बार जप कर उक्त तेल की तीन बूंदें नाक में डाल ले । रोग शीघ्र दूर हो जाएगा । इसी प्रकार ‘ॐ द्वं द्वारवासिनीभ्यां नमः’ मंत्र से तेल को अभिमंत्रित करके कान में डालने से कान संबंधी परेशानी दूर हो जाती है ।
कंठमाला य गले के दर्द दूर करने का मंत्र:-
‘ॐ चिं चित्राघण्टाभ्यां नमः’ मंत्र को 1008 बार जप कर सिद्ध कर लें फिर नित्य 11 बार इसी मंत्र को पढ़कर जल को अभिमंत्रित करके इसका सेवन सुबह-शाम करे । इसे कंठमाला, गले के दर्द आदि का निवारण होता है ।
गृह क्लेश, दांपत्य जीवन में मन मुटाव दूर करने का मंत्र:-
इसी तरह है ‘ॐ शों शोकविनाशिनीभ्यां नमः’ मंत्र को 1008 बार जप कर सिद्ध कर लें । फिर सोने से पहले इसे 108 बार पढ़ें । आपकी सभी प्रकार की मानसिक परेशानी, गृह क्लेश, दांपत्य जीवन में मन मुटाव व अलगाव से मुक्ति मिल जाएगी ।
हृदय रोग दूर करने का मंत्र:-
सोमवार को प्रातः काल स्नान आदि करके श्वेत वस्त्र धारण करें । सिर्फ कुश के आसन पर पूर्वाभिमुख बैठकर प्रवाल की माला से ‘ॐ लं ललितादेवीभ्यां नमः ’ मंत्र का जाप 10000 बार 11 दिनों में पूर्ण करें । यदि आप ह्रदय रोगी हो तो नित्य प्रातः काल इस मंत्र का ११ वर जप करे और दाएं हाथ की अनामिका उंगली अपने हृदय पर रखें । हृदय रोगियों को लाभ होगा । इसी विधि से बुधवार की रात ‘ॐ धं धनुर्धरिभ्यां नमः’ मंत्र को 1008 बार जप करके सिद्ध कर ले । अगर किसी को स्नायु से संबंधित रोग हो, तो प्रति दिन इस मंत्र को 108 वार जप ले । लाभ होगा ।
पेट-दर्द, जलोदर, कब्ज, अम्लपित्त आदि रोग दूर करने का मंत्र:-
मंगलवार की रात में स्नान आदि करके सफेद वस्त्र धारण करे । फिर कुश के आसन पर बैठकर अपने सामने चीनी की कटोरी में थोड़ी-सी सफेद अजवाइन रखें । अब ‘ॐ शूं शूल धरिणीभ्यां नमः’ मंत्र को 1008 बार जप कर सिद्ध कर लें । जब किसी व्यक्ति पेट से संबंधित कष्ट हो, इस मंत्र का 11 बार जप कर थोड़ी-सी अभिमंत्रित सफ़ेद अजवाइन रोगी को खिलाकर पानी पिला दे । पेट-दर्द, जलोदर, कब्ज, अम्लपित्त आदि रोगो में भी लाभ होगा ।